The easiest way of becoming virtuous! | Sakar Murli Churnings 05-09-2019
मुरली सदा क्लास में पूरी सुननी चाहिए… अतः इस लेख का सिर्फ यह उद्देश्य है, कि मुरली सहज याद रहे, ताकि सारा दिन उसका अभ्यास-धारण करना सहज हो जाए… लेकिन मुरली पहले क्लास में ही सुननी है
सार
1. आत्मा समझ बाप-टीचर-सतगुरु की याद द्बारा ही पावन-सतोप्रधान बनते, मुक्तिधाम जाते, ऊंच पद बनता… ज्ञान समझाना तो सहज है (आत्मा ही सबकुछ करती, सतयुग में हम देवता थे, अब 84 का चक्र पूरा हुआ, स्वदर्शन चक्र)
2. मुख्य है श्रीमत पर याद करना, बाकी और बातों मे नहीं जाना है (जानवर, भाषा, आदि)… हम भगवान् की सन्तान है, तो हममें दिव्यगुण जरूर होने चाहिए, खूब पुरुषार्थ करना है, सबकुछ ट्रांसफ़र करने, बाकी थोड़े रोज़ है… बाबा की सभी विशेषताओं को अपने में समाकर, ऊंच-श्रेष्ठ पद बनाना है
चिन्तन
तो चलिए आज सारा दिन… सदा इसी स्मृति में रहे, हम सर्व गुण-शक्तियों के सागर शिवबाबा (भगवान्) के बच्चे है… तो स्वतः हममें ज्ञान-योग द्बारा सर्व खूबी-विशेषताएं-दिव्यगुण आते, हम सबको आप-समान श्रेष्ठ बनाते, सतयुग बनाते रहेंगे… ओम् शान्ति!
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