Experiencing the Power of Peace – Avyakt Murli Churnings 02-12-2018

Experiencing Power of Peace imageExperiencing the Power of Peace – (Avyakt Murli Churnings 02-12-2018)

शान्ति के संकल्प

आज बाबा हमे 5 शान्ति के स्वमान दे रहे हैं:

  1. में शान्ति का अवतार हूं
  2. में शान्ति के सागर की संतान हूं
  3. में शान्ति दाता हूँ… शान्ति देवा हूँ … शान्ति का महादानी वरदानी हूं
  4. में शान्ति का भण्डार हूं
  5. में सदा शान्त स्वरूप हूं

शान्ति के और भी कई संकल्प है:

  1. शान्ति मेरा स्वधर्म है
  2. शान्ति मेरे गले का हार हे
  3. में शान्ति दूत हूं
  4. में शान्ति का फरिश्ता हूँ
  5. मेरा स्थान शान्ति कुण्ड हैं
  6. Peace is my original nature
  7. I’m Peace
  8. I’m a Peaceful Soul
  9. में शान्त स्वरूप हूं, बाबा शान्ति का सागर है … बाबा से मुझ पर शान्ति की किरणें बरस रही है … में शान्ति से भरपूर हो रही हूँ

इन संकल्पों को योग में दोहराने से, बहुत अच्छे अनुभव होते हैं… अर्थात हम शान्ति से भरपूर हो जाते हैं !

शान्ति बांटना

और जब हम खुद शान्ति से भरपूर होते हैं, तो औरों को शान्ति का अनुभव सहज करा सकते

औरो को शान्ति देने की विधि है… वृत्ति और दृष्टि में, ‘ये मेरे भाई है‘... और शुभ भावना ‘इन्हे भी बाप से वर्सा मिल जाए‘ … ऎसी श्रेष्ठ, रहमदिल, निःस्वार्थ, शुभ, कल्याणकारी, समर्थ भावना सदा फल देती है

ये बहुत जरूरी है, क्योंकि:

  1. शान्ति सबसे आवश्यक चीज है
  2. सभी शान्ति की प्यासी आत्माएं है… शान्ति के इच्छुक है
  3. विनाशी धन साधन से सच्ची शान्ति नहीं मिल सकती… इसलिए सभी शान्ति मांगने वाले बन गए हैं
  4. शान्ति के लिए बहुत भटकते हैं, पुकारते हैं, चिल्लाते हैं, परेशान होते हैं

और जिस चीज़ की आवश्यकता है, वही देना सबसे अच्छा है… इससे बहुत दुआएं मिलती हैं !

सार

तो चलिए आज सारा दिन… शान्ति के सागर में लहराते हुए, शान्त स्वरूप स्थिति में स्थित रहे… और सबको शान्ति बाँटते चले, ओम् शान्ति !

आज के मुरली की अन्य पॉइंट्स

बाबा कह रहे है… स्वयं को हीरो पार्टधारी समज हर कर्म करो… इससे स्वतः अपने पर attention रहेगा, alert रहेंगे, और अलबेलेपन से मुक्त रहेंगे… तो थोड़े समय मे बहुतकाल का अभ्यास कर, बहुतकाल की प्राप्तियां कर सकते हैं !

हम सिकीलधे बच्चों को सदा बाप के साथ रहना है… दूर जाएंगे तो माया आ जाएगी… और यहां स्वयं बाप हमे साथ रहने का निमंत्रण दे रहे हैं, ऐसा भाग्य सतयुग में भी नहीं मिलेगा,और साथ रहने का समय भी कम हैं… इसलिए हम सदा साथ रहते हैं !

तीव्र पुरुषार्थी का स्लोगन है… ‘अभी नहीं तो कभी नहीं!’ 

ओम् शान्ति !

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