Experiencing the flying stage | उड़ती कला में रहने की सहज विधि | Avyakt Murli Churnings 30-12-2018
बिन्दु का महत्व
- बिन्दु को समझना बहुत सहज है… बच्चा, बीमार, अनपढ़, कमझोर सब समझ सकते
- बिन्दु का हिसाब… 10 से 100, 100 से 1000 बन जाता
- बिन्दु के महत्व को समझने से महान बनते… बिन्दु बनना, बिन्दु बन बिन्दु वाप को याद करना, बिन्दु से मिलन मनाना
सर्वश्रेष्ठ ब्राह्मण जीवन!
- संगमयुग है मिलन मनाने का युग… और मिलन द्वारा उड़ती कला में रहना (अर्थात कर्मों के बन्धन से न्यारा, कर्मातीत)… क्योंकि करन-करावनहार बाप है, हम निमित्त और साक्षी है
- मेरापन ही मोह का बन्धन है… इसलिए देह बाप को सौपना है, सर्व सम्बन्ध बाप से जोड़ने है
- तो सबके आशीर्वाद (अर्थात शुभ भावना, शुभ कामना) से उड़ते रहेंगे… बापदादा का आशीर्वाद (वा वरदान) ही हमारे ब्राह्मण जीवन का आधार है
विदेही वा कर्मतीत स्थिति का सहज अनुभव
विदेही वा कर्मातीत अर्थात:
- मेरेपन वा स्वार्थ भाव से मुक्त, इच्छा मात्रम् अविद्या… कर्म के बन्धन से भी न्यारा
- पुराने हिसाब-किताब, वर्तमान के स्वभाव-संस्कार, बाहर की परिस्थितियां, देह की व्याधि सब के प्रभाव से परे
विदेही स्थिति का सहज अनुभव
- कर्म करने के लिए देह मै, और कर्म समाप्त होते ही देह से न्यारे… इसी अभ्यास को बार-बार करना है!
अन्य पॉइन्ट्स
- मधुबन घर में आराम भी मिलता, राम भी मिलता… हम बाबा के इस घर के श्रृंगार है!
- अभी सिर्फ क्लास कराना नहीं, लेकिन स्वयं हल्के रह सर्व को हल्का करना है!… हल्के रहनेे से ही ऊँची स्थिति रहती, आनंद और मौज में रहते!
सार
तो चलिए आज सारा दिन… बाबा को सब कुछ सौप सदा उसके साथ रहे… जिससे सहज ही हम उड़ती कला (अर्थात हल्कापन वा शान्ति प्रेम आनंद के निरन्तर अनुभव) द्वारा अपने सम्पूर्णता की मंज़िल तक जल्दी पहुंच जाएंगे… ओम् शान्ति!