The fire of remembrance! | Sakar Murli Churnings 31-01-2020
मुरली सदा क्लास में पूरी सुननी चाहिए… अतः इस लेख का सिर्फ यह उद्देश्य है, कि मुरली सहज याद रहे, ताकि सारा दिन उसका अभ्यास-धारण करना सहज हो जाए… लेकिन मुरली पहले क्लास में ही सुननी है
सार
एक रूहानी-अविनाशी पतित-पावन शिवबाबा की योग-अग्नि से, विकर्म-विनाश पावन-सतोप्रधान हो पुण्य-आत्मा बनते (सुखधाम-अमरलोक के मालिक, हेल्थ-वेल्थ-हैप्पीनेस सम्पन्न)… जबकि यह सर्वश्रेष्ठ-ज्ञान बाबा ने हमे दिया है, तो पुरानी दुनिया को भूल बाबा को सच्चे-लव से याद कर, पवित्र धारणा-मूर्त बन… अपने सर्व खजाने को सफल करे (तो ऊँच-पद बनेंगा)
चिन्तन
सदा याद को अग्नि-रूप बनाने लिए… अपनी ज्ञान के अध्ययन-चिन्तन वा योग-अभ्यास को एसा श्रेष्ठ-तीव्र बनाए, कि… सेकण्ड में अशरीरी हो, बाबा के बिल्कुल समीप उनके सर्व ज्ञान-गुण-शक्तियों से भरपूर बन… सदा सर्व-प्राप्ति-सम्पन्न स्थिति का अनुभव करते-कराते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!
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