Getting married to God! | (53rd) Avyakt Murli Revision 14-05-70

Getting married to God! | (53rd) Avyakt Murli Revision 14-05-70

1. बाबा दर्पण लाए हैं, जिसमें अपने अर्पण-मय होने का मुखड़ा देख सकते… सम्पूर्ण अर्पण (समर्पण) अर्थात देह-भान (कर्मेंद्रीयां), स्वभाव-सम्बन्ध सब अर्पण, तब सम्पूर्ण कहेंगे… ऎसे सदा सुहागिन (बिंदु रूप) बनने से श्रेष्ठ भाग्य प्राप्त होता

2. पुरूषार्थ तेज़ करने लिए 4 बातें याद रखनी है:

  • उद्देश्य
  • बाबा का आदेश (जिससे सफलता मिलती)
  • बाबा का सन्देश (सेवा)
  • स्वदेश (अब घर जाना है)

3. हम लाॅ-मेकर्स है (जस्टिस), इसलिए हर संकल्प-कदम संभाल के उठाना है… क्योंकि वह जैसे कि लाॅ बन जाता, सब फोलो करते… ऎसी अपनी जिम्मेदारी समझने से, छोटी बातों से सहज परे रहते

4. संगम के तिलक-तख्तनशीन, सर्विस का ताज, और गुणों के गहने से हम सम्पन्न है (संगम पर ही बीजरूप बाबा द्बारा सभी दैवी रीति-रस्म के बीज पडते)… समर्पण-समारोह अर्थात मधुबन के मन्दिर में आत्मा-परमात्मा का लगन होना, लॉ-मेकर्स का (कोर्ट)

5. हम है उपकारी (भल कोई कितने भी अपकार करे), अधिकारी और निरहंकारी… तब ही ताज-तख्त कायम रहता

सार

तो चलिए आज सारा दिन… सदा अपने को बाबा पर अर्पण, श्रेष्ठ भाग्यवान सुहागिन आत्मा समझ… सदा अपनी श्रेष्ठ लाॅ-मेकर की स्मृति द्बारा निरहंकारी बन सबकी सेवा करते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


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