Going beyond the Circus! | (76th) Avyakt Murli Revision 30-11-70
1. मास्टर सर्वशक्तिमान अर्थात:
- सदा पास होने वाले… फेल नहीं
- सभी बातों में फूल… फिलिंग के फ्लॉ-फ्लू से परे फ्लॉलेस
- सर्व सम्बन्धों से बाप को अपना बनाने वाले... तो बुद्धि कहीं और जाएंगी नहीं… सहज मायाजीत बन जाएंगे
2. हम बैटरी-चार्ज करन वाले वैल्यूएबुल-सर्विसएबुल-वर्कर्स ग्रुप है… तो सर्कस से परे जाना है, सर्कस अर्थात:
- स्वयं की कमियों (वा माया) को विकराल रूप से देखने के बजाय… साथियों को (परमार्थ-व्यवहार-परिवार में) विकराल रूप दिखाना
- अतिन्द्रीय सुख में झूलने के बजाय… व्यर्थ संकल्पों में झुलना
- अपनी रूप-स्थिति बदलते रहना
- अच्छा पुरुषार्थ कर, यहां ही उसके फल की ईच्छा रखना… तो अच्छा-स्वच्छ नहीं बन सकते
3. उम्मीदवार-हिम्मतवान के साथ सहनशक्तिवान बनना है, तब सफलता मिलेंगी… यही सम्पूर्णता की समीपता है… सफलता के लिए याद रखना, संगम पर प्यूरिटी ही प्रासपर्टी है
सार
तो चलिए आज सारा दिन… सदा स्वयं को देख बाबा को सर्व-सम्बन्धों से अपना बनाए, पवित्रता-अतिंद्रीय सुख सम्पन्न बन… सदा बैटरी चार्ज-फूल रख, हर बात में पास हो, मायाजीत-सम्पूर्ण बनते-बनाते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!
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