The hobby of serving! | Sakar Murli Churnings 10-01-2020
मुरली सदा क्लास में पूरी सुननी चाहिए… अतः इस लेख का सिर्फ यह उद्देश्य है, कि मुरली सहज याद रहे, ताकि सारा दिन उसका अभ्यास-धारण करना सहज हो जाए… लेकिन मुरली पहले क्लास में ही सुननी है
सार
1. इस संगम-प्रजापिता ब्रह्मा द्वारा… स्वयं निराकार (वृक्षपति, पतियों का पति, पिताओं का पिता) ऊँच-ते-ऊँच भगवान्-ईश्वर-परमात्मा… हम ब्राह्मण-बच्चे (निराकार-आत्माओं) को… राजयोग का ज्ञान पढ़ाते (और हम बाबा को याद कर विकर्म-विनाश करते, अन्त-मति सो गति)…. जिससे वर्से में नई दुनिया-दिन सतयुग-स्वर्ग-विष्णुपूरी के मालिक बनते (पुरूषोत्तम-देवता लक्ष्मी-नारायण रूप में)… हम इस सारे खेल को जानते (बाकी समय थोड़ा है)
2. यह जिनता सुनते-धारण कर मस्त रह-सबको सुनाते, उतना खुशी-कमाई होती… बाबा का परिचय (चित्रों-सहित) सबको समझाकर कल्याण करने का शौक हो (संगठन में… ब्राह्मणों के, वानप्रस्थ-माताओं के, सत्संग, आदि)
चिन्तन
जबकि औरों की सेवा करने में हमारा ही कल्याण समाया हुआ है, तो सेवा का सर्वश्रेष्ठ शौक रख… सेवा लिए एवर-रेडी रहने लिए, सदा ज्ञान-चिन्तन से समझानी रिफाइन रख, याद के बल से सदा श्रेष्ठ-शक्तिशाली शान्ति-प्रेम-आनंद सम्पन्न स्थिति में रह… अपने अनुभवी-प्रभावशाली बोल द्वारा सबको भगवान् से जोड़ते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्तिि!
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