The importance of the present times! | (82nd) Avyakt Murli Revision 21-01-71 (1st)
1. बाबा हमारे मस्तक पर ऊंचा भाग्य देख रहे… यही समय है वरदान प्राप्त करने का, यह चान्स पद्मापद्म भाग्यशाली आत्माओं को ही मिलता… अब नहीं तो कब नहीं… स्व-समय, इन दो शब्द को याद रखने से, श्रेष्ठ प्रारब्ध बनती
2. ड्यूटी से ऑफ होने के बाद, तुरन्त घर याद आना चाहिए… य़ह एक सम्बन्ध ही अनेक प्राप्तियां कराने वाला है… अपने को देह-भान से परे, अकाल-मूर्त आत्मा समझने से, अकाले मृत्यु-समस्याओं से परे रहेंगे
सार
जबकि बाबा नें हमें पद्मापद्म भाग्यशाली बना दिया है… तो सदा इस अमूल्य समय का लाभ लेते, अपने को अकाल-मूर्त आत्मा समझ एक बाबा के सर्व वरदान-प्राप्तियों से सम्पन्न बनते-बनाते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!
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