Keeping the diya within ignited! | Sakar Murli Churnings 24-12-2019

Keeping the diya within ignited! | Sakar Murli Churnings 24-12-2019

मुरली सदा क्लास में पूरी सुननी चाहिए… अतः इस लेख का सिर्फ यह उद्देश्य है, कि मुरली सहज याद रहे, ताकि सारा दिन उसका अभ्यास-धारण करना सहज हो जाए… लेकिन मुरली पहले क्लास में ही सुननी है

सार

1. इस संगम-यज्ञ-पाठशाला में… हम luckiest सितारों ब्राह्मण-बच्चों को… स्वयं परमात्मा-ईश्वर-शिवबाबा ज्ञान-सागर के… अविनाशी ज्ञान-रत्नों की निराकारी खान, वा याद-राजयोग-मंत्र द्वारा विकर्म-विनाश कर, अपने दिवे की सम्भाल करते (माया के तूफानों से)… साथ में ज्ञान-गंगा बन ज्ञान-योग-कर्मणा सेवा द्वारा सबको सुख दे आशीर्वाद लेते… जिससे हम दौड़कर माला में आ जाते (स्वर्ग-सतयुग-वैकुण्ठ के मालिक, देवता-रूप में, सम्पूर्ण धनवान)

2. तो जबकि हम याद से सतोप्रधान बन रहे, तो बोल-चाल-खान-पान सब सात्विक हो… जबकि बाबा पर बलिहार गए हैं, तो अब कोई ममत्व न हो, सदा श्रीमत पर

चिन्तन

जबकि स्वयं भगवान् ने हमारी आत्म-ज्योति जगाई है… तो सदा ज्ञान-योग के घृत को चिन्तन-ट्राफिक कंट्रोल द्वारा कायम रख… सदा चमकती-दिव्य शान्ति-प्रेम-आनंद से भरपूर स्थिति का अनुभव कर, सर्वश्रेष्ठ चेहरे-चलन-चरित्र द्वारा सब को आप-समान बनाते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


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