The magic of churning! | विचार सागर मंथन | Sakar Murli Churnings 31-12-2019

The magic of churning! | विचार सागर मंथन | Sakar Murli Churnings 31-12-2019

मुरली सदा क्लास में पूरी सुननी चाहिए… अतः इस लेख का सिर्फ यह उद्देश्य है, कि मुरली सहज याद रहे, ताकि सारा दिन उसका अभ्यास-धारण करना सहज हो जाए… लेकिन मुरली पहले क्लास में ही सुननी है

सार

1. इस संगम-ब्रह्मा तन द्वारा… हम मीठे बच्चे-स्टूडेंट-ब्राह्मण अनादि-अविनाशी आत्माओं को… ज्ञान-सागर बाबा ज्ञान-रत्नों से मालामाल करते, जिनको मंथन-धारण कर, हम दिव्यगुण-सम्पन्न (सदा खुश, हर्षित, मधुर) बनते… सब को भी बांटते रहते… फिर सतयुग-वर्से-सद्गति के मालिक, सम्पूर्ण-धनवान सर्वगुण-सम्पन्न लक्ष्मी-नारायण बनते

2. तो बाकी सब भूल, अपने कर्मों पर पूरा अटेन्शन रखना है… एक पतित-पावन शिवबाबा-परमात्मा-ईश्वर की याद में रहना है (जिससे मायाजीत रहते)

चिन्तन

जबकि ज्ञान-सागर बाबा हमें सर्वश्रेष्ठ ज्ञान-रत्नों से सम्पन्न कर रहे… तो सदा इन्हीं के चिन्तन में रहते, स्वयं को भिन्न-भिन्न स्वमान में स्थित कर, बाबा के समीप आते… सदा शक्तिशाली शान्ति-प्रेम-आनंद से सम्पन्न स्थिति का अनुभव करते-कराते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


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