Murli Yog 2.10.24

Murli Yog 2.10.24

वन्डरफुल, कम्प्लीट, अथाह सुख, शान्ति, सन्तोष, दिव्यता के ताकतवर 💪🏻 मालिक बनना; शौक से जादूई कल्याण करने की कमाई करना; ऐसी ईश्वरीय नेचर बनाना… Murli Yog 2.10.24!

हम मीठे-मीठे रूहानी बच्चों को… ‘आत्मा समझने’ लिए इसलिए कहा जाता… जो याद रहे हम आत्माओं 🪔 को वह रूहानी, पतित-पावन, वन्डरफुल बाप राजयोग पढ़ाते…

… इस चलते, फिरते 🚶. घूमते याद, सिमरण से अथाह सुख, सेकण्ड में जीवनमुक्ति पाते; सर्व मनोकामनाएं पूरी होती… क्योंकि कम्प्लीट पावन, गोरा, सतोप्रधान, सोने के, गोल्डन बनते…

तो शान्तिधाम भी जाते… फिर पीस, प्रोसपर्टी पाते; ज्ञानी, निरोगी, धनवान देवता बनते; राजा… नये गोल्डन सृष्टि के वर्से, प्रोपर्टी में; सद्गति दाता ✋🏻 द्वारा!

आत्मा एक शरीर छोड़ दूसरे में प्रवेश कर… भिन्न सम्बन्ध, फीचर्स से पार्ट बजाती रहती… यह एक्युरेट 👍🏻, बना-बनाया ड्रामा 🎭 रिपीट होता रहता; फिकरात की कोई बात नहीं!

आत्मा ही ऑर्गन्स द्वारा स्वाद लेती; तो याद की ताकत द्वारा ऊंच ब्रह्मा भोजन बनाने से… स्वीकार करने वाले का कल्याण हो, ह्रदय शुद्ध होता, साक्षात्कार भी हो सकते… इतनी ब्रह्मा भोजन की महिमा है; देवताओं को भी पसन्द है; तो क्यों नहीं थाली धोकर पियें… जितना उन्नति को पायेंगे, ऐसा भोजन मिलता रहेगा!

तो मधुबन 🏫 में है जादूगर 🧙‍♂️ की मुरली 📃 (जो मनुष्य से देवता बनाती!)… और यहां है सबका कल्याण करने की कमाई करना (गृहस्थ में रहते भी सेवा उठाना; शौक से, चित्रों द्वारा जीवन कहानियां स्पष्ट!)

ब्राह्मण कुल की रीति 👌🏻 है हर चलन सुखदाई… ऐसे परिवर्तन द्वारा ईश्वरीय नेचर बनाने से अनेकों को सन्तुष्ट करते… हमारा ऑक्युपेशन ही है शान्तिदूत बन सबको शान्ति देना!

निःस्वार्थ भाव से विचार 💭 दे… सेवा की ऑफर करना… (इससे इच्छा, चिड़चिड़ापन, ईर्ष्या, घृणा, क्रोध आदि सबसे मुक्त रहते!)


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