Our imperishable transformation! | हमारा अविनाशी परिवर्तन | (33rd) Avyakt Murli Churnings 25-10-69
1. बाबा हमारे परिवर्तन की परिपक्वता चाहते, अर्थात अविनाशी परिवर्तन… सोच-बोल-कर्म एक समान… दो बाते चाहिए आकर्षण-मूर्त (जो रूह समझने से होता) और हर्षित-मुख… इसलिए सम्पूर्ण निश्चय चाहिए स्वयं पर (झाटकू समान), जिसके लिए चाहिए कंट्रोलिंग पावर, जो हल्का छोड़ने (बिन्दी लगाने) से आता… और बुद्धि की टंकी में ज्ञान का पेट्रॉल भरपूर होने से कंट्रोल आता… हमें प्लस-माइनस के साथ जमा भी करना है… परिक्षा प्रैक्टिकल में देनी हैै, गहराई में जाने से मजबूती आती
2. हिम्मतवान बनने से कभी हार नहीं खाएंगे, एसे बहुत काल के विजयी ही विजय माला में आएँगे…. तीव्र पुरूषार्थी अर्थात बहुत काल के सम्पूर्णता के अभ्यासी, औरों को भी उम्मीद दिलाने वाले
3. एकता के साथ चाहिए एकान्त-प्रिय, जो एक बाबा-प्रिय बनने से होता, और कोई नहीं… तो बुद्धि भटकने के बजाए, एक से सर्व सम्बन्ध-रस का आनंद अनुभव करते रहेंगे… सिर्फ एक शब्द याद रखने से सारा ज्ञान-स्मृति-स्थिति-सम्बन्ध-प्राप्ति-सुख सब में एकरस हो जाते… कर्म द्बारा भी प्रेरणा देनी है, इसके लिए एक फोलो फादर याद रखना है, तो फैल के बनाए फ्लोलेस बन जाएँगे
4. बाबा हमारे त्याग-स्नेह का रिटर्न देते हैं… हमें भी जल्दी वापस मधुबन आना है… जितना अव्यक्त स्थिति का अनुभव करेंगे, उतना अव्यक्त मधुबन की खिंच होती
सार
तो चलिए आज सारा दिन… अपने पर सम्पूर्ण निश्चय रख, ज्ञान के पेट्रोल द्बारा कंट्रोलिंग पावर से सम्पन्न बन, सदा अपने को हल्की-बिन्दु आत्मा समझ एक बाबा की याद से सर्व सुख-आनंद-प्राप्तियां से भरपूर रह… परिवर्तित फ्लोलेस हीरा बन, सबको आप समान बनाते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!
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