Our lovely aim-objective! | Sakar Murli Churnings 05-12-2019
मुरली सदा क्लास में पूरी सुननी चाहिए… अतः इस लेख का सिर्फ यह उद्देश्य है, कि मुरली सहज याद रहे, ताकि सारा दिन उसका अभ्यास-धारण करना सहज हो जाए… लेकिन मुरली पहले क्लास में ही सुननी है
सार
1. जबकि हम स्वर्ग के मालिक लक्ष्मी-नारायण थे (और फिर से बन रहे, यही हमारा लक्ष्य है), तो बार-बार इसी चित्र को देखते, बहुत खुशी में रहना है… एसा बनाने वाले (परमात्मा बाप-टीचर-सतगुरू) को बहुत प्यार से याद करना है (आत्मा-अभिमानी बन), पूरा बलिहार जाना हैं… तो स्वतः दैवी-बुद्धि रहेंगी (निंदा-ग्लानि-परचिन्तन-बुरे संकल्प-कर्म से परे)
2. जबकि बाबा हमें इतना प्यार करते, तो सदा उनकी शिक्षा-श्रीमत पर चलना है, तब ही ऊँच-पद बनेगा (नहीं तो छोरे कहेंगे, बहुत सजाएं भी खानी पडे़, अवस्था नीचे-ऊपर)… मुख से सदा ज्ञान-रत्न निकालने हैै, मुरली एक दिन भी मिस नहीं (आसपास दूसरा संग तो है ही)… सबकि सेवा करते रहना है
चिन्तन
जबकि हमारा सर्वश्रेष्ठ एम-object है (और उसका चित्र भी wonderful है)… तो बार-बार अपने लक्ष्मी-नारायण के चित्र को देखते, एसा बनाने वाले सर्व गुण-प्राप्तियों के सागर बाबा को याद कर खुशियों में झूम उठे… सदा श्रेष्ठ स्थिति का अनुभव कर, ईश्वरीय मर्यादाओं पर चल हर कदम स्वयं-सर्व का श्रेष्ठ भाग्य बनाते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!
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