Our wonderful medal! | Sakar Murli Churnings 23-01-2020
मुरली सदा क्लास में पूरी सुननी चाहिए… अतः इस लेख का सिर्फ यह उद्देश्य है, कि मुरली सहज याद रहे, ताकि सारा दिन उसका अभ्यास-धारण करना सहज हो जाए… लेकिन मुरली पहले क्लास में ही सुननी है
सार
1. जबकि संगम पर स्वयं निराकार-शिव-भगवान् हमे ऊँच-निराकारी मत-ज्ञान पढा़ते (जिससे ही नई दुनिया-स्वर्ग-बहिश्त का वर्सा मिलता, हम देवता-प्रिंस बनते, सम्पूर्ण-सुखी)… तो बहुत खुशी से धारणा कर, प्रदर्शनी-चित्र-बैज द्वारा (मन्दिर-आश्रम में भी) सबका कल्याण करने का शौक हो (बुजुर्ग-कुमार-माता, सब कर सकते)
2. इस योग-सेवा में सफलता लिए मुख्य है देही-अभिमानी बनना… बाबा को बहुत प्रित से याद-योग द्वारा, विकर्म-विनाश कर खुशी से भरपूर बनना
चिन्तन
जबकि बाबा ने हमें सर्वश्रेष्ठ-मेड़ल (बैज) दिया है… तो हम भी ज्ञान-योग द्वारा सदा श्रेष्ठ-स्थिति रूपी मेड़ल को धारण कर… सबको अपने दिव्य-वाइब्रशन मधुर-बोल शीतल-नैन प्योरिटी-पर्सनैलिटी द्वारा बाबा से जुड़ाते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!
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