The personality of purity! | Avyakt Murli Churnings 06-04-95
1. हम सर्व स्नेही बच्चों की सूरत-चेहरे-चलन में रूहानी पर्सनालिटी (प्योरिटी की पर्सनालिटी) दिखाई देती वा अनुभव होती (भल बाहर से साधारण है, और बाकी सब की शरीर-विशेषता-position की पर्सनालिटी है)… हमारी सारे कल्प में सर्वश्रेष्ठ-महान पर्सनालिटी है:
- अनादि… हमारी चमक सब से न्यारी-प्यारी है
- आदि… हमारी सबसे श्रेष्ठ पर्सनालिटी है, तन-मन-धन-सम्बन्ध सेे… सुन्दर, सजे हुए, सुख-शान्ति-प्रेम-आनन्द स्वरूप
- मध्य… हमारी पूजा विधिपूर्वक होती (किसी धर्मात्मा, महात्मा, नेता की ऎसे नहीं होती)… हम कैसे श्रृंगारे जाते!
- अन्त… हम ब्राह्मण है, जिनकी महिमा कारण आज भी नामधारी ब्राह्मण से श्रेष्ठ कार्य कराते… हमारा नाम शास्त्रों में आता, जिसको सच्चे भक्त कितना विधिपूर्वक संभालते-रखते-पढ़ते, पूज्य समझते
इसलिए सदा अपने श्रेष्ठ प्योरिटी की पर्सनालिटी को स्मृति में रखना है, तो समर्थी आएंगी, माया दूर से ही भाग जाएंगी… आए और भागे नहीं, हम सदा ही मायाजीत रहे… ऎसा बहुतकाल का अभ्यास चाहिए, यह अन्त में नहीँ हो पाएगा, इसलिए अभी से स्मृति-स्वरूप बनना है..
2. रूहानी पर्सनालिटी वाले सर्व प्राप्ति सम्पन्न (स्वभाव-संस्कार सम्बन्ध-सम्पर्क सब में सम्पन्न-सन्तुष्ट) होने कारण, उनकी आंखें कहीं डूबेंगी नहीं, औरौं को देखने वा परचिन्तन में
3. प्योरिटी अर्थात सत्यता-स्वच्छता… अर्थात:
- विधि में थोड़ा भी अन्तर न हो
- समय-संकल्प जरा भी व्यर्थ न जाएं
- संकल्प-बोल-कर्म के मालिक होंगे (बोलना नहीँ चाहिए, मुह से निकल गया ऎसे नहीँ होंगा)
इसके लिए चाहिए महीनता से चेकिंग (सूर्यवंशी की निशानी मुरली महीन है, नाचो, गाओ, हंसो, खेलो, और चन्द्रवंशी का तीर-कमान भारी है, निशाना भी लगाना पड़ता)… डायमणड जुबली मनाने के साथ स्वयं भी डायमणड बनना है
4. सेकण्ड में एवर रेडी-अशरीरी होने का अभ्यास करना है… यह अभ्यास कोई भी कर सकते (सिर्फ सेकण्ड लगता, और संबंध-संपर्क में भी करा सकते)… जितना करेंगे, बहुतकाल के प्रालब्ध में एड होगा, बीच-बीच में करने से स्थिति स्वतः शक्तिशाली रहेंगी, छोटी-छोटी बातों में पुरुषार्थ नहीं करना पड़ेगा … अन्त समय बता कर नहीँ आएँगा, इस अभ्यास से हमें समय की समाप्ति के वाइब्रेशन भी पहले से टच होंगे…
5. हम खुशराजी है, खुला निमन्त्रण मिला है… लंबी लाइन में भी सोंचते, हमारा कितना बेहद का परिवार है… यह मेला भक्ति के मेलों से तो अच्छा है, नवीनता
सार
तो चलिए आज सारा दिन… सदा अपनी सर्वश्रेष्ठ रुहानी प्योरिटी की पर्सनालिटी को स्मृति में रख, समर्थ मायाजीत रहे… महीनता से स्वयं को चेक कर, सम्पूर्ण पवित्र सर्व प्राप्ति सम्पन्न बन… सूर्यवंशी बन, सबको बनाते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!
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