The power to discern! | परखने की शक्ति | (31st) Avyakt Murli Revision 16-10-69

The power to discern! | परखने की शक्ति | (31st) Avyakt Murli Revision 16-10-69

1. परिस्थिति-व्यक्ति (उनके संकल्प-वर्तमान-भविष्य) को परखने से ही विजयी होते… परखने लिए चाहिए बुद्धि की स्वच्छता (व्यर्थ न हो, संकल्प कम, थकावट से भी निर्णय ठीक नहीं होता), एक बाबा से जुड़े रहे… तो फिर फास्ट जादुई परिवर्तन होगा, इतने जादूगर-अवतार (शरीर लोन पर लिए हुए) सेवा पर निकलेंगे, तो सब हमारी अलौकिकता से प्रेरित होंगे

2. जैसे बाबा हम मणियों से खुशबु लेते, हमें भी सदा आत्मा-मणि को देखना है (शरीर-साप देखने से खुद पर विष चढ़ता, मणि देखने से उनका भी विष उतरता)… साप देखने से हम उनके जैसे बन जाएँगे, मणि को देखने से बाबा की माला के मणि बन जाएँगे… दो बिन्दी (स्वयं-बाबा) का परिवर्तन कर कम्प्लेन से कम्पलीट बनना है… जब खुद में परिवर्तन की प्रतिज्ञा होगी, तो प्रत्यक्षता भी होगी… उमंग-उत्साह को सदा कायम रखना है, यही पालना का रिटर्न हैं

3. स्वयं के हिसाब से नम्बर-वन बनना है, स्वयं हल्के तो कारोबार भी हल्का रहते… जैसे बाबा बिठाए, वैसे रहना है, देखना है… सिवाए शमा के और किसी को नहीं देखना है… जहां मन को टिकाना चाहे, वहां टीके (यह अभ्यास मुख्य सुबह होता, बीच-बीच में भी करना है, यही अन्त में काम आएँगा)… जोो ज्ञानी है, वह स्नेही भी जरूर होंगे, बाबा के स्नेह में सुध-बुध भूले हुए

4. जैसे सुनने-धारण करने-चलाने में चात्रक है, वैसे चरित्रवान भी बनना है… विजय माला में आने के पात्र

सार

तो चलिए आज सारा दिन… सदा उमंग-उत्साह से स्वयं-सर्व को आत्मा-मणि समझ बाबा से जुड़े रहे, जिससे बुद्धि स्वच्छ होते हम स्वयं में जादुई परिवर्तन अनुभव करते, चरित्रवान बनतेे जाते… सबके लिए प्रेरणा-स्रोत बनते, सतयुग बनाते रहेंगे… ओम् शान्ति!


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