The power to pack-up! | (52nd) Avyakt Murli Revision 05-04-70
1. सभी पॉइंट का सार है पॉइंट बनना, अर्थात विस्तार को समेटना-समाना… बीज-रूप स्थिति का अभ्यास, अभी-अभी आवाज में, अभी देह से परे
2. हम उम्मीद की विशेषता वाली विशेष आत्मा है, अभी श्रेष्ठ बनना है, अलंकारी और आकारी (जिसके लिए चाहिए लाइट)… निर्भयता-एकता-एकरस (ज्योति-ज्वाला और हल्केपन-शीतलता का बैलेंस, लाइट हाउस) … मेहनत कम, सफलता ज्यादा… सुनने के साथ स्वरूप बनना, सेन्स के साथ इसेन्स
3. तिलक अर्थात… आत्मिक स्मृति और भविष्य राजतिलक की निशानी-नशा
4. भक्ति में जो फूल चढ़ाए थे, उसका रिटर्न बाबा न्यारा (देह से)-प्यारा का पुष्प देते… हर्ष के साथ आकारी, यही आकर्षण-मूर्त है… हमारे पास पुरुषार्थ-सेवा दोनों का बल है… जितना बाबा के कर्तव्य में सहयोगी, उतना स्नेह मिलता… जितना बाप-समान निर्माण, उतना स्वमान
5. सम्पूर्ण अर्पण के दर्पण से बाबा का साक्षात्कार होंगा, सूरत से ही अल्लाह-समान दिखेंगे… जो ओते सो अर्जुन… तृप्त आत्मा अर्थात निर्भय-सन्तुष्ट… सहनशक्ति की कमी अर्थात सम्पूर्णता की कमी, तो अभी सदा अपने को शक्ति समझ विजयी बनना है, कमजोरी समाप्त
6. हम जादूगर बच्चे अव्यक्त को व्यक्त में लाते… अब ज्ञान-स्वरूप याद-स्वरूप बनना-बनाना है, समय के इन्तज़ार के बदले इन्तज़ाम करना है, एवर रेडी (पुरुषार्थ-संस्कार से भी)… नर्म (कोमल) और गर्म (शक्तिशाली), कोमल के साथ कमाल
7. श्रेष्ठ-मणि अर्थात सब कार्य श्रेष्ठ (सरलता-सहनशीलता… शीतल-मधुर के ज्वाला शक्ति)… मस्तक-मणि अर्थात मस्तक पर विराजमान, आस्तिक, सदा हाँ-जी… हम लक्की सफलता के समीप सितारे है
8. जितना विदेही बनेंगे (देह-भान से न्यारे), उतना स्नेह दे-ले सकेंगे, समीप रहेंगे (बाबा से भी)… कमजोरी को स्मृति में भी नहीं लाना, मास्टर सर्वशक्तिमान अर्थात सब कुछ सम्भव, मुश्किल भी आसान… अकेले है तो भी बाबा साथ है, संगठन मैं है तो भी अकेले (न्यारा-प्यारा)
9. जितना स्थिति एकरस, उतना पूजन-योग्य… तीव्र पुरूषार्थी अर्थात कब के बदले अब दिखाना… सम्पूर्ण अर्थात सर्वशक्ति-सम्पन्न, फिर वहां सर्वगुण-सम्पन्न
10. स्नेह-सहयोग-सम्बन्ध-सहन, सभी शक्तियां धारण करनी है… साहस-हिम्मत से मदद मिलती है (बाबा-परिवार की)… शक्ति (माया पर विजयी बनने लिए) और स्नेह (सम्बन्ध में), दोनों चाहिए
सार
तो चलिए आज सारा दिन… विस्तार को समेटकर बीजरूप विदेही बन, सदा अव्यक्त को साथ रख याद-स्वरूप बन… सबके स्नेही-प्यारे बन, हर कार्य में सहज सफलता पाते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!
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