The powerful day! | (81st) Avyakt Murli Revision 18-01-71

The powerful day! | (81st) Avyakt Murli Revision 18-01-71

1. जितना आवाज़ से परे हो बोलेंगे, तो इस अव्यक्त-प्रवाह के कारण, सुनने वाले भी सेकण्ड में अव्यक्त स्थिति का अनुभव कर सकेंगे… जिसके फल-स्वरूप वह कभी भी हिलेंगे नहीं, वारिस-क्वालिटी बनेंगे… यही है सेवा का प्रत्यक्ष-प्रमाण. यही नवीनता लानी है… इसके लिए मंथन के साथ मग्न अवस्था चाहिए

2. य़ह दिन है आवाज से परे जाने का, स्मृति सो समर्थी दिवस… स्नेह द्बारा बाबा से अनेक शक्तियां के वरदान लेने का दिन, सिर्फ इन्हें कैच करना है… यह दिन है सहज याद का

3. चेक करना है… कहाँ तक श्रेष्ठता-सम्पूर्णता वा सबसे समीपता, सम्बन्धों में सन्तुष्टता-शूरवीरता आई है… ऎसा ट्रान्सपेरेंट बनना है, कि देह के अन्दर विराजमान आत्मा वा आत्मिक स्थिति ही दिखाई दे

सार

तो चलिए आज सारा दिन… बाबा से सर्व शक्तियों के वरदान को कैच कर, सदा आवाज़ से परे स्थिति का अभ्यास कर… फिर सेवा में आते, सब को अव्यक्त स्थिति का अनुभव कराते, वारिस क्वालिटी बनते-बनाते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


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