Remaining soul-conscious! | Sakar Murli Churnings 30-11-2019
मुरली सदा क्लास में पूरी सुननी चाहिए… अतः इस लेख का सिर्फ यह उद्देश्य है, कि मुरली सहज याद रहे, ताकि सारा दिन उसका अभ्यास-धारण करना सहज हो जाए… लेकिन मुरली पहले क्लास में ही सुननी है
सार
- हम अविनाशी-चैतन्य-बिन्दी आत्माएं है (शरीर-पुतले द्वारा बोलती-चलती-पार्ट बजाती)
- हमारा बाप निराकार-परमात्मा शिवबाबा है (जो अभी ब्रह्मा-तन में आया है, सर्वव्यापी-न्यारा नहीं)
- हम अब पूज्य-पावन 16 कला सम्पूर्ण देवता बन रहे, नई-दुनिया स्वर्ग के
यह सब बीजरूप-बाबा ने हमें संगम पर बताकर ज्ञानी बनाया है (पतित है तब ही बाबा आते पावन बनाने, बाकी साक्षात्कार तो अल्पकाल है)… बहुतों को भी समझाना है
चिन्तन
जबकि आत्मा-सशक्तिकरण ही सर्व समस्याओं का समाधान है… तो सदा हर कर्म करते आत्म-चिन्तन द्वारा हल्की-न्यारी-यथार्थ स्थिति का अनुभव कर, बार-बार बुद्धि को बाबा से जोड़, उनकी सर्व गुण-शक्ति-प्राप्तियों से स्वयं को सम्पन्न रख… अपने श्रेष्ठ चेहरे-चलन द्वारा सब के लिए प्रत्यक्ष-प्रमाण बन आप-समान बनाते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!
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