Remembering Baba powerfully! | (8th) Avyakt Murli Churnings 13-03-69

Remembering Baba powerfully! | (8th) Avyakt Murli Churnings 13-03-69

याद की यात्रा में प्रेम-स्वरूप के साथ चाहिए शक्ति-स्वरूप (देवी के चित्रों में आंखें में प्रेम-करुणा-शीतलता और चेहरे-अस्त्र शास्त्र-वाहन से शक्ति-स्वरूप दिखता), तब ही सम्पूर्णता के समीप होंगे… हमारे मस्तक पर तीनों सितारें का त्रिशूल चाहिए (वर्तमान सौभाग्य का, सम्पूर्ण परमधाम का, और भविष्य का), सितारों की जगह ऊपर-नीचे न हो

कुमारियों से

1. योग के अनुभव-महसूशता की कमी है, जिस योग से ही जीवन में अतीन्द्रिय सुख का अनुभव होता… इसलिए एकान्त में भिन्न-भिन्न स्थानों पर सैर करना है (बाबा के साथ), संगठन में योग करना है (अमृतवेला-नुमाशाम का समय बहुत अच्छा है)… यह अव्यक्त स्थिति का प्रभाव नयन-चलन द्बारा प्रत्यक्ष होता

2. औरों के संस्कारों को जान, उनसे स्नेह से adjust होना है… इस गुणदान से औरों को भी उमंग-उत्साह में लाकर, निमित्त बनाकर उनकी उन्नति के निमित्त बनेंगे… उन्हें बचा सकेंगे, परम-पवित्र बाबा को पवित्र कुमारियाँ खींचती है

सार 

तो चलिए आज सारा दिन… याद में प्रेम-स्वरूप के साथ शक्ति-स्वरूप रहे… तो सदा जीवन में अतिन्द्रीय सुख से भरपूर रहेंगे, इसलिए थोड़ा समय अवश्य निकाले… और अनेकों को प्राप्तियों से भरपूर करते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


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