Remembering one Baba at the end! | Sakar Murli Churnings 15-06-2019
1. बहुत खुशी में रहना है, हमें बाबा ने पढ़ाकर स्वदर्शन चक्रधारी बनाया है, सुख का वर्सा देते… जबकि बाबा आए है हमें दुःख से छुड़ाए सुख में ले जाने, तो नाम-रूप (और बुरे ख्याल) छोड़ एक बाबा को याद करना है (जिससे विकर्म विनाश हो, शान्ति वा सभी गुणों का अनुभव होता), पुरानी दुनिया भूल (वैशयालय, रावण-राज्य, जिसको आग लगनी है) अपने शान्तिधाम-सुखधाम को याद करना है
2. टाईम बहुत थोड़ा है, इसलिए श्रेष्ठ पुरूषार्थ कर ऊंच पद पाना है… सबको सच्ची सत्य-नारायण की कथा अथवा दो बाप का परिचय दे (बाबा के वर्से में भी पुरुषार्थ से ऊंच पद मिलता), सबको सुख देना है, धन भी सफल करना है, बाबा को सर्विसएबुल बच्चें बहुत प्यारे हैं
सार
तो चलिए आज सारा दिन… अपने श्रेष्ठ अन्तिम लक्ष्य को बुद्धि में रख, अपनी दिनचर्या-जीवन के हर पहलू में बाबा को बहुत प्यार से याद करते रहे… सबको भी उसके बच्चे के रूप में देखते, देह को भी उसकी अमानत समझते, बिल्कुल हल्की-उपराम-अलौकिक स्थिति का अनुभव करते… सबको भी उससे जुड़ाते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!
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