Remembering only One! | Sakar Murli Churnings 24-07-2019
सार
1. जबकि हमें सबकुछ भूल-छोड़ घर जाना है, तो अभ्यास करना है जैसे कि यहां कुछ भी नहीं, देखते हुए भी जैसे यह है ही नहीं, फिर घर-नई दुनिया में पहुंच जाएंगे, लक्ष्मी-नारायण समान बन … माया के तूफान-कर्मभोग तो अन्त तक आएँगे, ब्रह्मा बाबा को भी आते थे, फिर भी फ़रिश्ता बने, हमें भी बाप-समान बनना है
2. इसके लिए हमें भी अपने को आत्मा समझ बाबा को याद करना है, प्रिंस-पद बुद्धि में रख (स्वदर्शन चक्र)… तो दिव्यगुण आते जाएँगे (मधुरता, प्यारा-पन), अवगुण निकलते जाएँगे (rough बोलना), ऊंच पद पाएंगे… जबकि बाबा 5000 बर्षों के बाद मिले हैं, तो ऊंच पद जरूर पाना है, बाकी सबकुछ भूल
3. सबकी सेवा करनी है… museum खोल कहना है, आत्मा समझ बाबा को याद करने से, अपने धर्म में भी ऊंच पद पाएंगे
चिन्तन
तो चलिए आज सारा दिन… जब भी योग के बैठे, तो ऎसा अभ्यास करे कि जो भी अन्य विचार आए, उनको न देख… अपने योग के संकल्प-द्रश्य में बिजी रह, बाबा से बहुत शक्तिशाली-गहरे शान्ति-प्रेम आनंद दिव्यता के अनुभवों से भरपूर -सम्पन्न बन… फिर सबको बांटते (लेने की भावना से मुक्त), सतयुग बनाये चले… ओम् शान्ति!
गीत: तू ही तू नज़र आएं…
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