Sakar Murli Churnings 06-02-2019
1. ड्रामा अनुसार बाबा सुप्रीम टीचर बन आए हैं, समझाते कैसे हम पार्ट बजाते-बजाते नीचे आए हैं, अब फिर सतोप्रधान बनना है, इसलिए मनमनाभव मध्याजीभव… श्री श्री शिवबाबा हमें श्री लक्ष्मी-नारायण बनाते, मालामाल करते
2. तो श्रीमत पर पढ़ाई कर स्वयं को आपेही राजतिलक दिलाना है… वापिस जाना है, इसलिए देही-अभीमानी बनना है (पहले आत्मा पीछे शरीर, आत्मा अविनाशी है शरीर विनाशी है, हम शरीर द्वारा पार्ट बजाते हैं, हमारा पिता परमात्मा हैै, आदि) और आत्मिक दृष्टि पक्की करनी है (हम आत्मा भाई से बात करते हैं)… बाबा (सत्-चित्त-आनंद स्वरूप, शान्ति प्रेम सुख का सागर) को याद करना है… मेरे-मेरे, आसकती, इच्छाओं से परे बेहद में रहना है
सार
तो चलिए… सुबह से ऎसा आत्म-अभीमानी (अर्थात शान्ति, प्रेम आनंद के निरन्तर अनुभव में) वा आत्मिक दृष्टि का अभ्यास पक्का रखे… कि हर पल श्रेष्ठ कर्मों और संस्कारों के निर्माण द्वारा हमारी उन्नति होती रहे, और आसपास सभी को भी आगे बढ़ाते रहें, जिससे सहज ही हम सतयुग बना लेंगे… ओम् शान्ति!