Sakar Murli Churnings 12-03-2019
1. जितना आत्म-अभीमानी (हम अविनाशी आत्मा है, शरीर द्वारा पार्ट बजाते, 84 जन्मों का पार्ट बजाया है, औरों को भी आत्मा भाई के रूप में देखना है) और परमात्म-अभीमानी बनते… बहुत खुशी रहती, दृष्टि बड़ी मीठी banti, उल्टे सुलते शब्द द्वारा किसी को दुख नहीं देंगे, क्षीरखण्ड बन प्यार से रहेंगे
2. सबको यही समझाना है… कैसे इस संगम पर भगवान ब्रह्मा तन में आकर यथार्थ योग सीखाकर आदि सनातन देवी-देवता धर्म स्थापन करते हैं
3. अपने पोतामेल अवश्य रखना है, हम कितना समय आत्म-अभीमानी रहते, क्यूंकि बहुत लम्बे समय का शरीर देखने का अभ्यास है… सब को रास्ता बताना है, किसी को दुःख नहीं देना है
सार
तो चलिए आज सारा दिन… सदा योगयुक्त शुध्द पवित्र स्थिति में रह, सदा शान्ति प्रेम और आनंद-मय हल्की स्थिति अनुभव करते रहे… इस अवस्था में सेवा करेंगे तो सभी सहज समझ जाएंगे, हम बहुत जल्द सतयुग स्थापन करने के निमित्त बन जाएंगे… ओम् शान्ति!