Seeing Baba in front! | Sakar Murli Churnings 02-12-2019
मुरली सदा क्लास में पूरी सुननी चाहिए… अतः इस लेख का सिर्फ यह उद्देश्य है, कि मुरली सहज याद रहे, ताकि सारा दिन उसका अभ्यास-धारण करना सहज हो जाए… लेकिन मुरली पहले क्लास में ही सुननी है
सार
1. इस संगम-स्कूल में स्वयं शिवबाबा-अल्लाह-गॉड (रूहानी बाप-टीचर-सतगुरू) सम्मुख हम आत्माओं को प्यार से पढ़ाते… तो हमें भी आत्मा समझ सर्वशक्तिमान-टीचर की प्यार-भरी याद-योग द्वारा पावन-बैटरी चार्ज होना है… फिर नई दुनिया-सद्गति शिवालय-सुखधाम में पहुँच जाएंगे (जीवनमुक्त-देवता के रूप में), वाया शान्तिधाम (हम सारे चक्र-झाड़-ड्रामा को जानते)
2. धारणा कर, सब को बाबा का परिचय देना है (अन्त में सब याद करेंगे)… तो अब किसी और से दिल नहीं लगानी, बाबा को निरन्तर याद करने का पुरूषार्थ करते रहना है… अटेन्शन से पढ़ना है (जबकि हमारी पद्मों की कमाई हो रही)
चिन्तन
जबकि बाबा हमारे सम्मुख आ गए हैं, तो सदा उसे अपने सामने-साथ अनुभव करते रहें:
- अमृतवेला-नुमाशाम में… शिवबाबा को सामने एक-टिक देखते, उनके प्यार-शक्तियों में समा जाए
- मुरली में… बापदादा को सुनाते हुए देखे (तो नीत-नये अनुभव होंगे)
- सारा दिन… बीच-बीच में 2-3 मिनट भी, बाबा का आह्वान कर उसको बुद्धि द्वारा सामने स्थित करे… तो सारा दिन सहज उसके साथ का अनुभव होंगा
ऐसे बहुत सुन्दर-योगयुक्त शान्ति-प्रेम-आनंद से सम्पन्न स्थिति अनुभव करते-कराते, सतयुग बनाते रहेंगे… ओम् शान्ति!
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