Seeing through the 3rd eye! | Sakar Murli Churnings 21-12-2019
मुरली सदा क्लास में पूरी सुननी चाहिए… अतः इस लेख का सिर्फ यह उद्देश्य है, कि मुरली सहज याद रहे, ताकि सारा दिन उसका अभ्यास-धारण करना सहज हो जाए… लेकिन मुरली पहले क्लास में ही सुननी है
सार
1. इस संगम-पुराने तन द्वारा… स्वयं रूहानी बाप-टीचर-सतगुरू पतित-पावन सर्वशक्तिमान शिवबाबा… हम मीठे-रूहानी बच्चों-आत्माओं (छोटेे-सूक्ष्म सितारों) को… ज्ञान का तीसरा-नेत्र दे, योगबल द्वारा… पावन-सतोप्रधान गोल्डन-ऐजेड गुल-गुल बनाकर, वापिस मुलवतन-घर परम-शान्तिधाम ले जाते (जहां से बिछड़े थे)… फिर नई दुनिया-स्वर्ग-सोने की चिड़िया का मलिक बनाते, लक्ष्मी-नारायण रूप में (सुख-शान्ति सम्पन्न)… हम सारे 5000 वर्ष के चक्र-ड्रामा को जानते
2. तो अब पुरानी-दुनिया को न देख (हम सब आत्माएं भाई-भाई है)… एक बाप की याद (स्नेह की छत्रछाया) में रहना है… ज्ञान को अमल में लाकर न्यारे-प्यारे कमल बन, सबके लिए sample रहना है
चिन्तन
जबकि बाबा ने हमें ज्ञान का नया-तीसरा नेत्र दिया है… तो सदा इसी का प्रयोग कर, सबकी आत्मा-रूप में विशेषताएं देखते… हर सीन में छिपे कल्याण को ही देखते, सदा बाबा की याद द्वारा दिव्यता-शान्ति-प्रेम-आनंद से भरपूर रहते-करते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!
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