योग कमेंटरी | आत्मिक दृष्टि का अभ्यास | Soul Conscious Drishti

योग कमेंटरी | आत्मिक दृष्टि का अभ्यास | Soul Conscious Drishti

मैं आत्मा हूँ… सभी भी आत्माएं हैं… बाबा के बच्चे है

एक बाप के बच्चे, मेरे भाई-बहन है… वह भी शान्त स्वरूप… प्रेम स्वरूप… आनंद स्वरूप है

मुझे उनकी विशेषताएं ही देखनी है… सबको देते रहना है… शुभ भावनाएं, दुआएं, सम्मान आदि… बाप से लेकर, सबको देना है

मुझे उनसे कोई भी अपेक्षा नहीं… उनकी कोई गलती नहीं… वह खुद अपने संस्कारों से परेशान हैं

उनका जीवन सुखमय बने… वह खुश रहे, आगे बढ़े, उनका कल्याण हो… उनका भी सम्बन्ध उनके परमपिता से जुड़ जाए, वह सर्व प्राप्ति सम्पन्न बन जाएं

इस अभ्यास से मेरी आँखें निर्मल होती जा रही है… मैं सतयुगी देवता बन रही हूँ… ओम् शान्ति!


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