Spiritual Significance of Diwali | (73rd) Avyakt Murli Revision 29-10-70

Spiritual Significance of Diwali | (73rd) Avyakt Murli Revision 29-10-70

1. दीपमाला अर्थात दिपों की माला… दीप वह अच्छे लगते, जो अटल-अखण्ड होते, अखुट घृत के कारण

2. सफ़ाई-कमाई के आंतरिक लक्ष्य में सन्तुष्ट होने लिए, दिव्यगुणों का आह्वान करना है

3. फिर नए वस्त्र अर्थात नए संस्कार धारण करने है (हर बात में बाबा, और करके हो छोड़ेंगे)… पुराने-पन का चौपड़ा समाप्त

4. फिर ताजपोशी अर्थात अपनी नई-दुनिया के नज़ारे-स्वरूप स्पष्ट दिखाई देंगे (दिव्य-नेत्र से)… अभी-अभी यह बनें… तब ही बाबा के स्नेही, श्रेष्ठ, सम्पूर्णता के समीप कहेंगे

सार

तो चलिए आज सारा दिन… सदा ज्ञान-घृत से भरपूर बन, अपनी आत्मिक ज्योत को उज्ज्वल-जागृत रख… दिव्यगुणों के नए संस्कार का आह्वान कर, नई दुनिया के नजारे देखते-दिखाते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


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