Spiritual Significance of Holi | (49th) Avyakt Murli Revision 23-03-70
1.
- स्थित की स्पिरिट से पुरुषार्थ की स्पीड आती, जिससे सेवा में सफलता होती… इसलिए होली के अर्थ-स्वरूप बीती सो बीती, पास्ट को बिल्कुल खत्म कर देना है, जैसे कि पिछले जन्मों की बात हो (चित्त-चिन्तन-वर्णन नहीं)… यह है रंगना
- ऎसे सरल-चित्त बनने से नयन-मुख-चलन में मधुरता का गुण प्रत्यक्ष होता… यह है मिठाई
- और सब के साथ संस्कार-मिलन होता (जिसके लिए समाना-भुलाना-मिटाना होता, सबको सम्मान-सत्कार देना)…यह है मंगल-मिलन मनाना
इसी विधि से सिद्धि प्राप्त करनी है, जिससे क्यू लगेगी
2. हम सर्विसएबुल होने कारण शुभ-चिन्तक है, सब की चिंताओं को मिटाने वाले… इसके लिए बनना है, बालक सो मालिक… एक से अनेकों के सम्पूर्ण संस्कार बनाना… बिंदी रूप बनना है
3. देखने के साथ… ऎसा श्रेष्ठ बनना, सब के सम्बन्धों के समीप, बाबा के भी दिल-पसन्द
दादियों से मुलाकात
1. हम बालक-मालिक है, इसलिए बने हैं बाबा के दिलतख्तनशीन, सर्विस के तख्तनशीन, और भविष्य राज्य के तख्तनशीन… इसके लिए सिर्फ निशाना (ज्ञान) और नशा (योग) accurate रखना है
2. अब वाणी से परे, silence से साक्षात्कार कराना है… हम में बापदादा दिखाई दे (इससे ही फिर परमात्मा के अनेक रूप की बात भक्ति में चली है)… ऎसी समानता-समीपता की चेकिंग करनी है
स्पष्टता से श्रेष्ठता-सफलता-समीपता-समानता आती… आदि-रत्न अनादि गाए जाते
3. हम सूर्यमणि (शक्ति) और चन्द्रमणि (शीतल) दोनों है, इस समझ (लाइट) के साथ माइट लाने से ही, सर्विस में सफलता मिलेगी
4. जैसे एक जन्म में अनेक जन्मों का भाग्य (ताज-तख्त-तिलक-सुहाग) बनाते, वैसे इसी एक जन्म में जन्मों के हिसाब-किताब चुक्तू होते… इसके लिए साक्षी (जिससे व्याधि भी खेल लगती)-साहसी बनना है, तो बाबा का सहयोग भी मिलेंगा… साक्षी से साक्षात्कार होंगे
5. स्नेह-सहयोग-शक्ति में समानता आने से समाप्ति होंगी… अभी स्नेह वा सेवा (जिम्मेवारी) के डबल ताज से, वहां भी मिलेगा
6. सर्वस्व त्यागी बनने से सर्व के स्नेही-सहयोगी बनते, सब का स्नेह मिलता… इसी श्रेष्ठ कल्याण के संकल्प से सर्व प्राप्ति-पद-सत्कार से अधिकारी बनते
सार
तो चलिए आज सारा दिन… सदा साहसी बन बीती सो बिन्दी कर, ज्ञान-योग-सरलता सम्पन्न बन, मधुरता वा शुभ चिन्तन से सबके साथ चलते… बाबा के समान-शक्तिशाली बनते, सब का कल्याण करते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!
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