Summary of all 1969 Avyakt Murlis

Summary of all 1969 Avyakt Murlis

कल हमने 1969 की सारी अव्यक्त मुरलीयों का चिन्तन पूरा किया (टोटल 40 मुरली) … तो आज इन सभी मुरलीयों का सार देखते (1 छोटे आर्टिकल मेंं, उसमें भी कोई ब्लू अक्षरों को टच करने से, उस पूरी मुरली का सार खुल जाएंगा)… इन्हें बहुत प्रेम से, बाबा की याद में स्वीकार करना जी

अव्यक्त स्थिति

मुख्य बात, बाबा ने अव्यक्त स्थिति बढ़ाना का इशारा दिया, जिससे ही अव्यक्त मिलन होता:

नई सहज पुरुषार्थ की विधियां

बाबा ने बहुत सारी सहज शक्तिशाली युक्तियां बताई (पहली बार), सहज सम्पूर्ण बनाने… फोलो फादर करना, अपने को मेहमान समझ, ट्रस्टी बनना (सबकुछ बाबा की अमानत हैं), जिससे सम्पूर्ण समर्पित निश्चय-बुद्धि परवाने बनते… बाबा की ऊंची दृष्टि देखते, उसकी आशाओं का दीपक जरूर बनना है, अलर्ट-attractive

पुरुषार्थ से प्राप्तियां!

पुरुषार्थ से प्यार ही समस्याओं पर विजयी बनाता… इसलिए याद को स्नेह-रूप के साथ शक्ति रूपअग्नि रूप भी बनाना… बुद्धि को भी सूक्ष्मसाफ़ कर परखने की शक्ति बढ़ानी है, सरल-चित कर… तब ही परिवर्तन अविनाशी बन, संगठन वा सेवा में सफलता मिलेगी (सेवा भी भिन्न युक्तियों भी बताई)… और नंबर वन, बेस्ट टीचर, मधुबन का शो-पीस बनेंगे

सार

तो चलिए आज सारा दिन… बीती-आलस्य को बिन्दी लगाए, ब्रह्मा बाप समान सम्पूर्ण समर्पण-भाव जागृत कर… पुरुषार्थ से प्यार (और बाबा की स्नेह-शक्ति-अग्नि स्वरूप याद द्बारा) अव्यक्त स्थिति मजबूत करते रहे… तो सहज संगठन-सेवा में सफलता पाते, नंबर वन बनते-बनाते, सतयुग बनाते रहेंगे… ओम् शान्ति!


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