The divine bow! | Sakar Murli Churnings 06-12-2019

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The divine bow! | Sakar Murli Churnings 06-12-2019

मुरली सदा क्लास में पूरी सुननी चाहिए… अतः इस लेख का सिर्फ यह उद्देश्य है, कि मुरली सहज याद रहे, ताकि सारा दिन उसका अभ्यास-धारण करना सहज हो जाए… लेकिन मुरली पहले क्लास में ही सुननी है

सार

1. हम मीठे-मीठे सिकीलधे मोस्ट-बिलवेड ईश्वरीय-सन्तानों को अब ड्रामा-अन्त में परमात्मा-इश्वर मिला है, जिस निराकार-शिवबाबा की ही सारी महिमा है… जो परमधाम से आकर हमें पलकों पर बिठाकर, सर्वश्रेष्ठ स्मृतियां दिलाते (हम ही श्री लक्ष्मी-नारायण थे)…

2. तो ऐसे बाप को शुक्रिया दे, उन पूरा कुर्बान जाना चाहिए… अर्थात्‌ श्रीमत पर एक बाप की प्यार-भरी याद (मन्मनाभव-मध्याजीभव के बाण) द्वारा मायाजीत-जगतजीत बनना (स्वर्ग-वर्से के मालिक देवता, एवर हेल्थी-वेल्थी-सुखी, 21 जन्मों लिए)… बाकी थोड़ा समय है, हम सारे चक्र-भक्ति आदि को जानते

2. जबकि इस ड्रामा में हमारा ही सर्वश्रेष्ठ हीरो-हीरोइन पार्ट है, तो सच्चे ज्ञानी-योगी पवित्र-धारणा मूर्त सपूत-श्रेष्ठ जरूर बनना है, तब ही बाबा का प्यार मिलेगा… सबको बाबा का परिचय दे, जागृत करने की सेवा करनी है (समझने वाले समझ जाएंगे)

चिन्तन

जबकि हमें मन्मनाभव-मध्याजीभव के सर्वश्रेष्ठ बाण मिले हैं… तो सदा इनका प्रयोग कर, अर्थात्‌ शुभ-संकल्पों के बल द्वारा मन को शान्त-शीतल कर, उसे बाबा की यादों-स्वरूप के प्यार में मग्न कर दे… अपनी बैटरी चार्ज अनुभव कर, सदा दिव्यता-शान्ति-प्रेम-आनंद से सम्पन्न रहते-करते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


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