The highest happiness! | Sakar Murli Churnings 29-10-2019
मुरली सदा क्लास में पूरी सुननी चाहिए… अतः इस लेख का सिर्फ यह उद्देश्य है, कि मुरली सहज याद रहे, ताकि सारा दिन उसका अभ्यास-धारण करना सहज हो जाए… लेकिन मुरली पहले क्लास में ही सुननी है
सार
1. हम चलते-फिरते-खाते-पीते-कार्य करते, सहज-रूहानी याद की यात्रा पर है (अपने को आत्मा समझ बाबा को याद कर सम्पूर्ण पावन-ताकतवर बनना)… जिसको और सहज करता है ज्ञान का खजा़ना (जो नॉलेजफुल-ब्लिसफुल गॉड-फादर हमें देते)… जिससे नई-शान्ति की दुनिया हेवन-paradise वैकुण्ठ-कृष्णपूरी के मालिक बनते, देवता-रूप में 21 जन्म सुख-धन-तन्दुरूस्ती से सम्पन्न
2. तो बहुत-बहुत खुशी में रहना है (सच तो बैठो नच), संग की बहुत सम्भाल करनी है (सबकुछ पतित-दुःखदायी है)… बाकी समय थोड़ा है… बड़े गोले के चित्र-बैज द्बारा सबको समझाना है (ट्रेन में, आदि), जिससे सबकी आशीर्वाद मिलें, कोई भी सेवा निष्फल नहीं जाती
चिन्तन
जबकि हमें भगवान् (अपनी सारी ज्ञान-गुण-शक्तियों सहित) मिला है… और हमें अपने भी सत्य-दिव्य शान्ति-प्रम-आनंद से सम्पन्न अस्तित्व की पहचान मिली है… तो रही बात पुराने संस्कार-हिसाब की, तो सदा बाबा की श्रीमत सिरमाथे रखे उनके ज्ञान-खजा़ने से भरपूर बन, हर दिन हमारी याद की यात्रा में तेज़-सहज उन्नती का अनुभव करते, सर्व प्राप्ति-दिव्यगुण सम्पन्न मायाजीत बनते-बनाते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!
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