The journey ahead! | (1st) Avyakt Murli Churnings 21-01-69
हमें क्या करना है?
- अव्यक्त स्थिति में स्थित रहने से उलझन-डगमग-संशय नहीं… ज्ञान-योग-सेवा-आज्ञाओं पर बाबा-संगठन-नियमों के आधर से सहज चलते रहते… जैसे बाबा ने हमें शिक्षाओं से श्रृगारा है!
- अभी बाबा retire होकर हमें विश्व-कल्याण का ताज देते (सतयुग के ताज की तैयारी!)… किसी के अवगुण नहीं देखते, एकमत-अन्तर्मुखी-अव्यक्त हो सबके सम्पर्क में आना है
- अंगद-समान अचल रहना है, पेपर अचानक ही आते, ड्रामा कल्याणकारी है…
ब्रह्मा बाबा की स्थिति
- व्यक्त में रहते अव्यक्त रूपधारी
- मस्तक पर सितारा बहुत चमकता हुआ
- छोटी-छोटी बातों से उपराम
आगे का कारोबार
- ब्रह्मा बाबा का पार्ट आकार में चलता रहेंगा, संदेशी द्बारा पूरी सेवा करेंगे, सदा उनका हाथ-साथ रहेंगा
- साकार मुरली revise करनी है
- मधुबन का वैसे ही कारोबार चलता रहेगा, निमित्त बड़ों द्बारा
- अभी निमित दीदी-दादी है
सार
तो चलिए आज सारा दिन… अव्यक्त स्थिति में स्थित रह, सदा बाबा का हाथ-साथ अनुभव करते, सदा विश्व कल्याण का ताज स्मृति में रख… सबकी विशेषताएं देखते, अचल adol रह, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!
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