The power of Simplicity! | (38th) Avyakt Murli Revision 06-12-69
1. एवर-रेडी अर्थात जैसे ही बुलावा आये, तुरन्त समेट कर जम्प दे सके… ऎसी पहले से ही तैयारी करनी है, सरल स्वभाव बनाना है
2. सरलता से:
- समेटने की शक्ति आती
- सबके सहयोगी बनते, सबको प्रिय लगते
- सब का स्नेह-सहयोग प्राप्त होता… इसलिए सामना-समाना सहज हो जाता
- माया-समस्या कम सामना करती, समय-संकल्प व्यर्थ नहीं जाते… इसलिए बुद्धि विशाल-दूरांदेशी रहती
- स्वच्छता अर्थात सच्चाई-सफाई आती, जो सबको आकर्षित करती
- बहुरूपी बनते, अर्थात मोल्ड हो सकते… अर्थात सेकंड में ब्रेक-मोड़ने की शक्ति, जिनके फल-स्वरूप हमारे संकल्प-बोल-कर्म सिद्ध होने लगते… इसे ही कहेंगे सर्विसएबुल… ऎसे हम हमारे संकल्पों की वैल्यू को समझेंगे, तो सभी हम रत्नों की वैल्यू को परखेगे
3. अपने चेहरे को चैतन्य म्यूज़ियम बनाना है, जिनमें 3 मुख्य चित्र फिट है (नैन-मुख-भृकुटी), जो स्मृति-वृत्ति-दृष्टि-वाणी से प्रत्यक्ष होता, सब आकर्षित होते… इसलिए जो सुना है, उसकी गहराई में जाकर अपनी चलन के रग-रग में समाना है, कूट-कूट कर (अर्थात महिनता से)… बाप सो स्वयं को प्रत्यक्ष करना है
4. हम ऎसी शक्तिशाली आत्माएं है, जो चाहे कर सकते… संकल्प से सृष्टि रच सकते
5. मधुबन है स्नेह-सौभाग्य की लकीर, जिसके अन्दर सब नहीं आ सकते… हम भाग्यवान है, जो स्नेह के सागर से सर्व सम्बन्धों का रस अनुभव किया है, इसका रिटर्न अवश्य देना है
सार
तो चलिए आज सारा दिन… मैं शक्तिशाली आत्मा हूँ, इस स्मृति से सरलता का सर्वश्रेष्ठ गुण धारण कर, सबके प्रिय-स्नेही बने… हमारे चेहरे को चैतन्य म्यूज़ियम बनाकर सबकी सेवा करते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!
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