The spiritual labour! | Sakar Murli Churnings 25-10-2019
मुरली सदा क्लास में पूरी सुननी चाहिए… अतः इस लेख का सिर्फ यह उद्देश्य है, कि मुरली सहज याद रहे, ताकि सारा दिन उसका अभ्यास-धारण करना सहज हो जाए… लेकिन मुरली पहले क्लास में ही सुननी है
सार
1. हमारे निमन्त्रण पर आकर, बाबा ने हमें इस कुम्भी पाक नर्क से निकाल दिया है… अब हम रोज़ शिवबाबा की पाठशाला में जाते, वह हमारा बाप (वर्सा), टीचर (पढ़ाई), सतगुरु (सद्गति) पतित-पावन है… जिन्हें श्रीमत पर हम सहज याद करते (अपने को आत्मा समझ, हम परमधाम से यहां आये है पार्ट बजाने)…
2. जिस याद से हमारे पाप कट हो, हम पावन-सतोप्रधान-दिव्य बनते… और दुनिया भी नई-सतोप्रधान स्वर्ग-सुखधाम-कृष्णपुरी बनती…
3. यह पढ़ाई बहुत ऊँची है, और समय थोड़ा है… तो हमें अपना समय सफल कर, ऊँच पद जरूर प्राप्त करना है (पवित्र बन, ज्ञान-चक्र-बाबा के चिन्तन द्बारा)
चिन्तन
जबकि याद से ही सारा नया विश्व स्थापन हो जाता (शक्तिशाली परमात्म-प्रकंपन से)… तो सदा अपनी याद की percentage को सारे दिन में बढ़ाते रहे, बैठे हुए शक्तिशाली अनुभव करने के साथ-साथ, सारे दिन के कर्मयोग में भी श्रेष्ठ शान्ति-प्रेम-आनंद से सम्पन्न स्थिति कायम रख… सबके लिए प्रत्यक्ष-प्रमाण उदाहरण बन, आप-समान बनाते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!
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