The unlimited renunciation! | Sakar Murli Churnings 24-10-2019
मुरली सदा क्लास में पूरी सुननी चाहिए… अतः इस लेख का सिर्फ यह उद्देश्य है, कि मुरली सहज याद रहे, ताकि सारा दिन उसका अभ्यास-धारण करना सहज हो जाए… लेकिन मुरली पहले क्लास में ही सुननी है
सार
1. हमें अब शान्तिधाम-निवासी शान्ति-सागर शान्ति-देवा बाबा से शान्ति का वर्सा मिलता… शान्तिधाम-घर तो जाएंगे, साथ में जितना आत्मा समझते (छोटी-अविनाशी आत्मा जो भ्रकुटी-अकालतख्त में बैठ शरीर को चलाती) और बाबा को याद करते, तो सजाओं से छूटते, पवित्र बन पवित्र दुनिया-सुखधाम सद्गति-जीवनमुक्ति में ऊँच पद पाते … सच्चा सोना, सतोप्रधान आत्मा-शरीर पाते
2. इस संगम पर सत्य-बीज़रूप (सुख-शान्ति सागर) बाप हमें रोज़-रोज़ सत्य बातें सुनाते… हमें संगम का काफी समय मिला है, तो बुद्धि से अब कहीं अटकना नहीं है
चिन्तन
जबकि हम बुद्धि से ही बाबा को याद कर सर्व-प्राप्ति-सम्पन्न बनते… तो अब बुद्धि को कहीं भी असार-भौतिक-लौकिक-सांसारिक-व्यर्थ बातों के प्रभाव में न उलझाते, सदा बाबा को साथ रख तोड़ निभाते… हर दिन ज्ञान-योग द्वारा तेज़ प्रगति-उन्नति का अनुभव करते-कराते, सदा शान्ति-प्रेम-आनंद से भरपूर, दिव्यगुण-सम्पन्न बनते-बनाते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!
Recent Sakar Murli Churnings:
Thanks for reading this article on ‘The unlimited renunciation! | Sakar Murli Churnings 24-10-2019’