Welcoming the New Age | नव युग की बधाई हो | Avyakt Murli Churnings 31-12-2018
नव युग की मुबारक हो, मुबारक हो, मुबारक हो!
जैसे नये वर्ष की स्मृति, आनंद और इन्तज़ार है… वैसे ही मन और नैनों में नव युग की भी बहुत बहुत खुशी रखनी है, कि बाबा हमें कितनी नई बातें दे रहे हैं:
- नया युग (जो अब आया की आया)
- नया राज्य
- नया जीवन
- नया चमकीला दैवी ड्रेस (शरीर)
- नया मन, धन वा सम्बन्ध
- नयी सीन-सीनरीयां
- नये सर्व प्राप्तियों के भण्डार
पुरानी बातों को विदाई
बाबा चाहते हैं, कि हम दृढ़तापूर्वक हिम्मतवान बनकर सभी पुराने-पन को विदाई दे:
- पुराने स्वभाव
- पुराने संस्कार
- पुरानी चलन
- माया
- पुराने व्यर्थ संकल्प, कमझोरी के संकल्प
इसके लिए सिर्फ हिम्मत का एक कदम उठाना है, तो बाबा की हज़ार (वा पदम) गुणा मदद के अधिकारी हो… किसी भी हालत में हिम्मत नहीं छोड़नी है… माया हिल जाए, लेकिन हमारा हिम्मत का पांव न हीले!
नव वर्ष में क्या नवीनता लानी है?
- हमारा occupation है विश्व कल्याणकारी वा विश्व परिवर्तक बनना… इसलिए परोपकारी, रहमदिल बनकर शुभ भावना वा दुआओं का दान देकर… स्व के, परिवार के और विश्व के कल्याणकारी बनना है
- सेवा में जैसे लक्ष्य रखते कि बाप को प्रत्यक्ष करना है… वैसे पहले स्वयं को प्रत्यक्ष करना है… शिव शक्ति, पाण्डव वा विजयी रूप में
- बाप समान जरूर बनना है
- कारण वा समस्या शब्द सदा के लिए समाप्त करने है… चाहे स्व से, परिवार से, वा संगठन के संबंधित हो… निवारण करना है, समाधान स्वरूप बनना है
- बीच-बीच में मालिक बन मन-बुद्धि को श्रेष्ठ स्थितियों में एकाग्र करने की ड्रिल जरूर करनी है
अन्य पॉइन्ट्स
- सदा OK रहने वालो पर बाबा स्नेह भरी दुआओं की वर्षा करते है… और वाह बच्चे वाह के गीत गाते हैं
- मेरा बाबा कहा, और अधिकारी बन गए… श्रीमत पर चलने के अधिकारी, और सर्व प्राप्तियों के अधिकारी
- की हुई सेवा के लिए बाबा मुबारक दे रहे है
- दिल्ली का स्थापना के कार्य में महत्वपूर्ण पार्ट है… इसलिए number 1 (वा गोल्डन कप) लेना है
- डबल विदेशीयों ने सेवा में वृद्धि अच्छी की… अभी डबल तीव्र पुरुषार्थी बनने का गोल्डेन कप लेना है
बाबा का याद-प्यार
चारों ओर के स्नेही, सहयोगी, श्रेष्ठ… स्व की प्रत्यक्षता द्वारा बाप को प्रत्यक्ष करने वाले विश्व कल्याणकारी बच्चो को बापदादा की बहुत बहुत दुआएं स्वीकार हो… और नमस्ते!
सार
तो चलिए इस सारे वर्ष… अपने श्रेष्ठ नये युग को बार-बार नैनों के सामने लाते बहुत बहुत खुशी में रहे… जिससे सहज ही हम पुराना-पन से मुक्त हो… फिर से अपने कल्प पहले वाले श्रेष्ठ स्वरूप को धारण कर, स्वयं की प्रत्यक्षता द्वारा बाप को प्रत्यक्ष करें… जिससे सहज ही स्वर्ग की स्थापना सम्पन्न हो जाएगी… ओम् शान्ति!