The wonder of Shrimat! | Sakar Murli Churnings 26-11-2019
मुरली सदा क्लास में पूरी सुननी चाहिए… अतः इस लेख का सिर्फ यह उद्देश्य है, कि मुरली सहज याद रहे, ताकि सारा दिन उसका अभ्यास-धारण करना सहज हो जाए… लेकिन मुरली पहले क्लास में ही सुननी है
सार
1. आसुरी मत नीचे गिराती (जो सबसे मिलती), और सुप्रीम-नॉलेजफुल बाप-गुरू की ईश्वरीय-श्रीमत (याद द्वारा) दिव्यगुण-सम्पन्न बनाती, ऊंचा चढ़ाती (श्रेष्ठ-पुण्य आत्मा देवता बनाती, नई-सतोप्रधान दुनिया स्वर्ग-सुखधाम-सद्गति में, 21 जन्म पद्मापद्म-भाग्यशाली)
2. सहज-याद के बीच माया आएंगी, उसमें भी योग के पुरूषार्थ-बल से ही विजय है (हमें आत्मा-परमात्मा का सम्पूर्ण-सत्य ज्ञान है, और ब्रह्मा-बाबा से तो कम ज़िम्मेवारी है)… साथ में कमल-फुल समान रहना है (धन्धा, आदि करते भी); हमारी विजय निश्चित है (हम सारे ड्रामा को जानते)
3. हमारे संगठित शुभ-भावनाओं के सहयोग-बल से ही सेवाओं में सफलता है, ऐसे हर कदम में पदम जमा करते जाना है
चिन्तन
जबकि सिर्फ एक श्रीमत से ही क्या से क्या बन, कहाँ से कहा पहुंच जाते… तो सदा हर संकल्प-कर्म में बाबा वा उसकी श्रीमत को सिरमाथे रख, सदा ज्ञान-चिन्तन वा बाबा की प्यारी-मीठी यादों में डूबे रह, शान्ति-प्रेम-आनंद से भरपूर सर्व प्राप्ति सम्पन्न बनते-बनाते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!
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