The wonderful third eye! | Sakar Murli Churnings 19-12-2019
मुरली सदा क्लास में पूरी सुननी चाहिए… अतः इस लेख का सिर्फ यह उद्देश्य है, कि मुरली सहज याद रहे, ताकि सारा दिन उसका अभ्यास-धारण करना सहज हो जाए… लेकिन मुरली पहले क्लास में ही सुननी है
सार
1. इस संगम-मेले में… पुराने-तन (बड़ी-नदी ब्रह्मा) द्वारा… स्वयं निराकार-परमात्मा पतित-पावन शिवबाबा (चैतन्य-बीजरूप)… हमें गीता ज्ञान-राजयोग-श्रीमत समझाकर-पढ़कर ईश्वरीय-बुद्धि तीसरा-नेत्र देते
2. जिससे हम रोज़ पढ़कर, याद की यात्रा द्वारा सोने की धारणा-मूर्त बुद्धि बनाकर, दिव्यगुण-सम्पन्न देवता (कृष्ण, लक्ष्मी-नारायण) बनाते, नई दुनिया-सतयुग में
3. हम सारे झाड़-चक्र को जानते (देवताओं का राज्य… फिर मन्दिर-शास्त्र-सन्यास… फिर साइंस-बाबा द्वारा परिवर्तन… सब 5000 वर्ष में)
चिन्तन
जबकि बाबा ने हमें ज्ञान का सर्वश्रेष्ठ तीसरा-नेत्र दिया है… तो सदा इससे अविनाशी-आत्मा (वा साथ में बाबा) को ही देखते, इश्वरीय-बुद्धि द्वारा सदा श्रीमत अनुसार श्रेष्ठ कर्म करते… बहुत सहज शान्ति-प्रेम-आनंद से सम्पन्न स्थिति का अनुभव करते, अपने श्रेष्ठ चेहरे-चलन द्वारा सबको आप-समान बनाते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!
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