Sakar Murli Churnings 22-03-2019
स्वयं भगवान् हमारे लिए खीच कर आए हैं, इसलिए यह ब्राह्मण जीवन सर्वश्रेष्ठ हीरे-तुल्य है… अब वापिस घर जाने पावन सतोप्रधान जरूर बनना है, इसके लिए देह-भान-मुक्त आत्म-अभिमानी बन बाबा को याद करना है, फिर दैवीगुण भी धारण करने है… ऎसे योगयुक्त खुशमिजा़ज़ हो तन-मन-धन से सेवा करने से सहज स्थिति श्रेष्ठ रहती और सबकी बहुत आशीर्वाद मिलती, इसलिए रहमदिल बन सर्व का कल्याण करते रहना है
सार
तो चलिए आज सारा दिन… स्वयं भगवान् मुझे पढ़ाकर ज्ञान रत्नों से झोली भर रहे हैं, इसी स्मृति में रह… सदा श्रेष्ठ स्थिति का अनुभव करते, औरों को भी ज्ञान दान देते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!