योग कमेंटरी | ज्ञान-वान होने का अनुभव | Experiencing knowledgeful-ness

योग कमेंटरी | ज्ञान-वान होने का अनुभव | Experiencing knowledgeful-ness

ज्ञान सागर ने… मुझे सर्वश्रेष्ठ ज्ञान सुनाकर… मास्टर ज्ञान सागर बना दिया है

मुरलीधर की मुरली ने… मुझे मास्टर मुरलीधर बनाकर… सदा अतिन्द्रीय सुख में रहना सिखा दिया है

तीनों कालों का ज्ञान देकर… त्रिकालदर्शी… त्रिनेत्री बना दिया है

अब मैं तीनों लोकों का मालिक… त्रिलोकिनाथ बन गया हूँ

मैं ज्ञान-वान… ज्ञान स्वरूप… ज्ञानी तू आत्मा हूँ

सदा मुख से ज्ञान रत्न ही सुनाने है… मैं ज्ञान गंगा हूँ… सबको पावन बनाती हूँ… ओम् शान्ति!


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Thanks for reading this meditation commentary on ‘ज्ञान-वान होने का अनुभव | Experiencing knowledgeful-ness’

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