योग कमेंटरी | पवित्रता का अनुभव | Experiencing Purity

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योग कमेंटरी | पवित्रता का अनुभव | Experiencing Purity

मैं परम पवित्र आत्मा हूँ… पवित्रता के सागर की सन्तान… सम्पूर्ण पवित्र ब्रह्मा बाबा की भी सन्तान हूँ

मेरी दृष्टि सिर्फ विशेषताएं देखती… वृत्ति सर्व के लिए शुभ भावनाओं से सम्पन्न है… कर्म अलौकिक और दिव्य है

चेहरा हर्षित… बोल मधुर… व्यवहार सुखदाई… सबके लिए सम्मान से भरपूर है

बाबा ने मुझे श्रेष्ठ स्मृतियों से सम्पन्न कर दिया है… मैं देव-कुल की महान आत्मा… पूज्य… विश्व कल्याणकारी हूँ

मेरा अनादि-आदि काल सम्पूर्ण पवित्र था… पवित्रता मेरी वास्तविकता है… अब फिर पावन बन… सारे विश्व को पावन बनाना है… ओम् शान्ति!

गीत: तन एक मंदिर हो…


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Thanks for reading this meditation commentary on ‘पवित्रता का अनुभव | Experiencing Purity’

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