योग कमेंटरी | बाबा से दृष्टि लेते हुए | Taking drishti

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योग कमेंटरी | बाबा से दृष्टि लेते हुए | Taking drishti

बाबा मुझे दृष्टि दे रहे हैं… बहुत प्यार-भरी, मीठी… शक्तिशाली… आत्मिक दृष्टि

बाबा सदा मेरी विशेषताएं देखते… जाने क्या देखा मुझमे… जो मुझे अपना बनाकर, पद्मपद्म भाग्यशाली बना दिया है

मुझमे अनोखी शक्ति भर रही है… मैं बिल्कुल हल्किशान्ति, प्रेम, आनंद से भरपूर हो गयी हूँ

मैं बाबा का अनन्य रत्न हूँ… बाबा की दृष्टि सदा मुझ पर है… मैं उनकी छत्रछाया में, सदा सुरक्षित हूँ

सबकुछ मुझपर लुटाने वाले बाबा, मुझे देख रहे हैं… मुझे उनकी आशाओं को पूर्ण कर… बाप समान बनना है

बाबा से दृष्टि ले… सारे विश्व को दृष्टि अर्थात श्रेष्ठ वाइब्रेशन देने है… सबकी विशेषताएं देखते, आगे बढ़ाना है… ओम् शान्ति!

गीत: आप दृष्टि यूँ ही देते रहो बाबा…


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