योग कमेंटरी | सुबह उठते ही अवतरीत

योग कमेंटरी | सुबह उठते ही अवतरीत

मैं परमधाम-निवासी आत्मासूक्ष्मवतन-वासी फरिश्ता… इस देह-सृष्टि में अवतरीत हुआ हूँ

इस कलियुग को परिवर्तन कर… सतयुग स्थापन करने… मैं शान्ति दूत… विश्व कल्याणकारी हूँ

मैं सबको वरदान-दुआएं देता… मेरे नैनों से रूहानियत झलकती… बोल प्रेरणादायी… कर्म दिव्यअलौकिक है

मैं उपराम-न्यारा… सबका प्यारा… निरन्तर सेवाधारी हूँ

सारा दिन श्रेष्ठ-सहज बितेगा … मैं बाबा से शक्तियां ले रहा… बाबा मुझे वरदानों से भरपूर कर रहे हैं… औरों को भी यह खज़ाने बांटने हैं… ओम् शान्ति!


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