योग कमेंटरी | अब घर जाना है

योग कमेंटरी | अब घर जाना है

84 जन्मों, 5000 साल से पार्ट बजा रहा हूँ… अब पार्ट पूरा हुआ… अब घर जाना है

परमधाम मेरा घर है… जहाँ सम्पूर्ण शान्ति है… विश्राम है

सबकुछ बाबा को सौप कर… मैं निश्चिंत हो गया हूँ… बाबा की याद से… सम्पूर्ण सतोप्रधान बन रहा हूँ

जैसे भरतू हो आए थे… वैसे ही भरतू हो जाना है… बाबा की याद में रह… सर्व प्राप्ति सम्पन्न बनना है

सबको ख़ज़ाने बांटते… उन्हे भी आप समान सम्पन्न… तैयार करना है… ओम् शान्ति!

गीत:मेरे बाबा का पैगाम…


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Thanks for reading this meditation commentary on ‘अब घर जाना है’

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