योग कमेंटरी | मैं स्वदर्शन चक्रधारी आत्मा हूँ | Spinning the discus of self-realization

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योग कमेंटरी | मैं स्वदर्शन चक्रधारी हूँ | Spinning the discus of self-realization

मैं स्वदर्शन चक्रधारी आत्मा हूँ… भगवान ने मुझे सृष्टि के आदि-मध्य-अन्त का ज्ञान दे दिया है… मैं सर्वगुण सम्पन्न देवता थी

मैं भगवान का परम भक्त रहा हूँ… अभी अधिकारी बना हूँ… बाबा का सारा ज्ञान और वर्सा, गुण और शक्तियां मेरी है

मैं ब्राह्मण हूँ… भगवान की पालना में पलने वाली मैं परद्मपद्म भाग्यशाली आत्मा हूँ… सेवा के निमित्त आत्मा हूँ

मुझे फरिश्ता बनना है… अव्यक्त… कर्मातीत…

सम्पन्न और सम्पूर्ण बन घर जाना है… अपने अनादि बीजरूप स्थिति में

इसी चक्र को फिराते रहने से… हम मायाजीत बनते… सदा श्रेष्ठ स्थिति में स्थित रहते… ओम् शान्ति!

गीत: चलो करे हम सैर रूहानी…


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