योग कमेंटरी | प्रभाव से परे

योग कमेंटरी | प्रभाव से परे

मैं आत्मा हूँ… आंतरिक शान्ति, प्रेम, आनंद से भरपूर… बाह्य प्रभाव से परे

बाबा मेरे साथ है… उनकी छत्रछाया में, में सदा सुरक्षित हूँ… माया-परिस्थितियां मुझे छू नहीं सकती

औरों का प्रभाव मुझपर नहीं पड़ता… मैं विश्व कल्याणकारी हूँ… सबको श्रेष्ठ तरफ प्रभावित करती

मैं सतयुगी-दिव्य आत्मा हूँ… दिव्यता से सम्पन्न… प्रभाव-मुक्त

मैं कल्प-कल्प का विजयी रत्न हूँ… सफलता मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है… डरने की कोई बात नहीं… ओम् शान्ति!

गीत: इश्वर अपने साथ है…


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Thanks for reading this meditation commentary on ‘प्रभाव से परे’

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