Filling ourself with jewels! | Sakar Murli Churnings 12-06-2019

Filling ourself with jewels! | Sakar Murli Churnings 12-06-2019

1. दोनों शिवालय (शान्तिधाम-सुखधाम) और बाप-टीचर-सतगुरु बाबा को याद रखने से, सुख-खुशी का पारा चढ़ पाप कटते, पद ऊंच बनता… माया-वश झुटका खाना वा बुद्धि को भटकाना नहीँ, उससे औरों को भी नुकसान होता, अच्छे से पढ़ना हैं, हमें सर्वश्रेष्ठ टीचर मिला है

2. घर जाकर सब भूलना नहीँ है, औरों को भी समझाते रहना है, कलियुग-संगमयुग-सतयुग पर, गंभीरता-निर्भयता से, चित्र-म्युज़ियम-लिखत-समझानी श्रेष्ठ हो… जो आने वाले होंगे वह आ जाएँगे… चने (स्थूल प्राप्तियों-सम्बन्धों का आकर्षण) छोड़ हीरों (ज्ञान रत्नों वा योग केे अनुभव) से सम्पन्न बनने-बनाने में समय सफल करना है, तो विश्व-महारानी बन जाएँगे

सार

तो चलिए आज सारा दिन… जबकि बाबा रोज़ हमपर अविनाशी ज्ञान रत्नों की वर्षा करते, तो इन सभी रत्नों को चिन्तन-योग द्बारा अनुभव कर धारण करते दसवें… तो सदा शान्ति प्रेम आनंद से मालामाल, सर्व प्राप्ति सम्पन्न बन, सबको करते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


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