The wonderful Confluence Age! | Sakar Murli Churnings 21-06-2019
हम परमधाम-निवासी आत्माएं पहले देवता थे, 84 जन्मों का आल-राउंड सुख-दुःख का पार्ट बजाया… अब पार्ट समाप्त हो कब्रिस्तान बनना है, घर जाना है, इसलिए हम अपने निराकार बाप-टीचर-सतगुरु-अकालमूर्त-महाकाल-लिबरेटर बाबा की अव्यभिचारी याद में रहते, जिससे हम विकार-मुक्त पवित्र दिव्यगुण-सम्पन्न सदा-सुखी देवता बनते सतयुग में… औरों को भी ज्ञान सुनाकर कल्याण करना है, अभी हम पुरुषोत्तम संगमयुग पर है सबकुछ जानते (आत्मा, परमात्मा, आदि), भगवान् आए है ब्रह्मा तन में
सार
तो चलिए आज सारा दिन… जबकि हम संगम की टॉप-पॉइन्ट पर खड़े हैं, तो सदा ड्रामा को साक्षी हो देख, सदा अपने परम साथी बाबा को साथ रख… सदा सर्वश्रेष्ठ योगयुक्त शान्ति-प्रेेम-आनंद से सम्पन्न रह, सबको करते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!
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