Sakar Murli Churnings 03-01-2019
बाप और वर्से को याद करना है सेकेण्ड की बात, जिससे खुशियों से भरपूर बन जाते हैं!
लेकिन माया (अर्थात पुराने संस्कार) याद करने नहीं देते… इसलिए अशरीरी बनने और बाबा को याद करने का अभ्यास करना है… तो हम बहुत मीठे और रॉयल बन जाएँगे, और सुख के टाॅवर स्वर्ग में पहुच जाएँगे!
तो जितना ऎसे बुद्धी को गोल्डन एज बनाकर धारणा केरेंग और कराएंगे, श्रीमत पर चलेंंगे, बाबा को याद कर पवित्र बनेंगे… तो आने वाले समय को भी सहज पार करेंगे, और स्वर्ग में भी बहुत ऊंच पद पाएंगे!
सार
तो चलिए आज सारा दिन… अल्फ और बे (बाप और वर्से) को याद कर बेअंत खुशी में रहे… और सब के साथ इस खुशी को बांटते रहे, विश्व को स्वर्ग बनाते चले… ओम् शान्ति!